घर से काम करना आपके लिए तनावपूर्ण भी हो सकता है

भारत में 'वर्क फ्रॉम होम' का कॉन्सेप्ट थोड़ा नया है। बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के एग्जीक्यूटिव्स को छोड़कर ज्यादातर एम्प्लॉइज इससे वाकिफ भी नहीं हैं। यह सुनकर अच्छा लगता है कि आप घर बैठकर ही कम्प्यूटर और दूसरे डिवाइसेज से कंपनी का काम पूरा कर देते हैं और पूरी सैलेरी मिलती है। पर यह कॉन्सेप्ट आपके लिए तनावदायक भी हो सकता है। जानते हैं 'वर्क फ्रॉम होम' से जुड़ी चुनौतियों के बारे में।

कोई भरोसा नहीं करेगा कि आप जॉब भी करते हैं!
अगर आप घर पर बैठकर ऑफिस का काम करते हैं तो आस-पास के लोग जासूस बन जाते हैं और साबित करने की कोशिश करते हैं कि नौकरी चली गई है। ऐसे में आपको हर किसी को बताना पड़ता है कि आपकी नौकरी नहीं गई है, बल्कि आप कंपनी की 'वर्क फ्रॉम होमÓ पॉलिसी का लाभ उठा रहे हैं। रिश्तेदार भी अपेक्षा करते हैं कि आप कभी भी लैपटॉप बंद करके सोशल गैदङ्क्षरग में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि कोई मॉनिटङ्क्षरग नहीं कर रहा है। 'वर्क फ्रॉम होम' में खुद को साबित करने के लिए दोहरी मेहनत करनी पड़ती है।

इंटरनेट आपकी हार्ट रेट को कंट्रोल करता है
'वर्क फ्रॉम होम' के लिए हर तरह के संसाधन होने चाहिए। आपका इंटरनेट कनेक्शन भी अच्छा होना चाहिए। कई बार ऐसा होता है, जब कोई महत्वपूर्ण फाइल बॉस को भेजनी होती है और इंटरनेट डिसकनेक्ट हो जाता है। ऐसे में आपको काफी टेंशन हो सकती है। इस तरह की स्थितियां कई बार सामने आती हैं। आपको इन्हें काफी चतुराई से संभालना पड़ता है।

व्यवधान आपके जीवन का हिस्सा बन जाता है
आप सोचते हैं कि'वर्क फ्रॉम होम' के लिए आप घर का कोई शांत कोना चुनेंगे और अपना काम आसानी से पूरा कर लेंगे। पर असलियत में ऐसा नहीं होता है। कभी आपके घर की डोरबेल बजती है तो कभी घर का कोई सदस्य आपसे कोई डिमांड करने लगता है। इस तरह आपका महत्वपूर्ण समय जाया चला जाता है। काम के दौरान कई तरह के व्यवधान आते हैं। हर व्यवधान के बाद आपको दोबारा वर्क मोड में जाने के लिए 15 मिनट का समय लगता है। इससे उत्पादकता कम होती है।


वर्क-लाइफ बैलेंस को मैंटेन करना कठिन हो जाता है
जब आप घर पर पायजामा पहनकर काम करते हैं तो आपको ऑफिस से घर पर समय पर पहुंचने का तनाव नहीं होता है, पर इससे आप एक्स्ट्रा वर्किंग आवर्स तक काम करने लगते हैं। आप काम में इतना डूब जाते हैं कि आप परिवार पर ध्यान देना भूल जाते हैं। काम के साथ-साथ आपको निजी जिंदगी और संबंधों पर भी ध्यान देना पड़ता है। वर्क-लाइफ बैलेंस के अभाव में चीजें गड़बड़ा सकती हैं। काम और परिवार के बीच तालमेल बैठाना एक कला है। यही वजह है कि याहू कंपनी की सीईओ मारिसा मेयर ने 'वर्क फ्रॉम होम' पॉलिसी अप्रूव नहीं की है।

आप महत्वपूर्ण कैफेटेरिया डिस्कशन्स को मिस कर देते हैं
वर्कप्लेस पर कलीग्स के साथ होने वाले कैफेटेरिया डिस्कशन्स आपके मूड को सही करते हैं। इसके अलावा आपको जानकारी मिलती है कि अन्य लोगों का काम किस तरह से चल रहा है। आप काम के साथ-साथ चुनौतियों, जीवन आदि चीजों के बारे में विचार-विमर्श करते हैं। इससे आप दुनिया के बारे में पूरी तरह से अपडेट रहते हैं। 'वर्क फ्रॉम होम' के कारण आप लोगों से मिल नहीं पाते हैं और न ही अपने स्ट्रेस को किसी के साथ शेयर कर पाते हैं। आप दुनिया के पूरी तरह से कट जाते हैं। इससे आपको महत्वपूर्ण जानकारियां भी नहीं मिल पाती हैं।

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